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आहड़ सभ्यता की खोज तथा विशेषताएं | ahar banas culture characteristics in hindi

   आहड़ सभ्यता की खोज तथा विशेषताएं | ahar banas culture characteristics in hindi आयङ बनास की सहायक नदी है इसी के किनारे लगभग 2,000 ईसा पूर्व से 1200 ईसा पूर्व के मध्य एक ताम्र युगीन सभ्यता का विकास हुआ था जिसे आहड़ सभ्यता कहा जाता है. इस का प्राचीन नाम था ताम्रवती नगरी था. 10 वीं 11 वीं सदी में इसका नाम आघाटपुर कर दिया गया वर्तमान में इसका स्थानीय नाम धूलकोट है. इसका उत्खनन सर्वप्रथम ए के व्यास ने 1953 में किया. 1956 में आर सी अग्रवाल तथा 1961 में एच डी सॉकलिया द्वारा शोध कार्य किया गया. यहां का प्रमुख उद्योग तांबा गलाना व उपकरण बनाना यहां कई तांबे के औजार तथा एक घर में तांबे गलाने की भट्टी भी प्राप्त हुई है यहा की खुदाई में 6तांबे की मुद्राएं व 3 मोहरे मिली है. मुद्रा में एक और त्रिशूल तथा दूसरी और अपोलो जो यूनानी देवता थे उनका चित्रांकन किया गया था.  यहां पर तांबे के बर्तन कुलड़िया उपकरण आदि मिले हैं. यहां से माप तोल के बाट भी प्राप्त हुए हैं जिससे यहां के व्यापार के बारे में पता चलता है मकान पक्की ईंटों के बनाए जाते थे यहां के लोग मृतकों के साथ आभूषण के साथ दफनाते थे....

chandragupta Maurya and Nandini story in Hindi

  chandragupta Maurya and Nandini story in Hindi हाल ही में टेलिविज़न के धारावाहिक से चन्द्रगुप्त मौर्य और नन्दिनी की एक कहानी सामने आई हैं. इस एतिहासिक कहानी में कई रहस्य तथा अटकले भी हैं. हालांकि उत्तर एवं दक्षिण भारत को एक करने वाले मौर्य वंश के इतिहास के कई सारे स्रोत उपलब्ध हैं मगर उनमें इस अनसुनी कहानी के बारें में अधिक जानने को नहीं मिलता हैं. कौन थे चन्द्रगुप्त और क्या था उसका वंश क्या था. चंद्र गुप्त का जन्म सूर्य गुप्त और उनकी पत्नी मूर के पुत्र के रूप में हुआ था. सूर्या गुप्त ने नन्द वंश के शासक घनानन्द को घासे में लिया और उनका वध कर डाला फिर वे राजा बनें, जंगल में ही उनकी पत्नी ने एक बेटे को जन्म दिया. बालक को बचपन में चन्द्र के नाम से जाना गया, चाणक्य उसी दौर में नन्द वंश के सलाहकार के रूप में कार्य करने लगे थे. शाही रणनीतियों और राज्य के निवासियों के प्रति उनके उद्दंड व्यवहार से थक गए थे। वह जानता था कि राजा नंदा धन और बढ़ी हुई शक्ति के लिए, भारतीय भूमि पर विदेशी आक्रमण करने के लिए उत्सुक थे। चाणक्य ने इसके खिलाफ राजा नंदा को चुनौती दी, लेकिन उन्हें अपनी शाही मान्यता छ...

गुप्त साम्राज्य का इतिहास - The Gupta Family History Hindi Gupta's family history Gupta family religion who is the guptas

  गुप्त साम्राज्य का इतिहास - The Gupta Family History Hindi Gupta's family history Gupta family religion who is the guptas गुप्त युग को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग (golden age under gupta) कहा जाता हैं. मौर्य साम्राज्य के पतन के पश्चात भारत की राजनैतिक एकता समाप्त हो गई इस बीच कुषाण वंश व सातवाहन वंश क्रमशः उत्तरी व दक्षिणी भारत में स्थिरता का प्रयास किया किन्तु वे अपने अपने क्षेत्रों तक सिमित रहे. (what achievements made the gupta empire a golden age) 275 ई में पूर्वी भारत में एक नयें राजवंश का उदय हुआ जो गुप्त वंश के नाम से जाना गया, गुप्त संभवतः कुषाणों के सामंत थे. श्रीगुप्त को गुप्त वंश का संस्थापक माना जाता हैं. इसने महाराजा की उपाधि धारण की. (who are the gupta family) गुप्त वंश का प्रथम शक्ति सम्पन्न सम्राट चन्द्रगुप्त प्रथम था जिसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी.  चन्द्रगुप्त प्रथम ने 319 ई में एक सम्वत चलाया, जिसे गुप्त सम्वत के नाम से जाना जाता हैं. समुद्रगुप्त के समय गुप्त साम्राज्य का सर्वाधिक विस्तार हुआ. इसकी विजयों का उल्लेख उसके दरबारी कवि हर...

स्थायी बंदोबस्त क्या है | What Is Permanent Settlement In Hindi

  स्थायी बंदोबस्त क्या है | What Is Permanent Settlement In Hindi:  अंग्रेजों के आगमन से पहले भारत में जो भूमि व्यवस्था कायम थी उसे अंग्रेजों ने बहाल रखा परंतु 1765 ईस्वी में अंग्रेजों को बंगाल बिहार उड़ीसा की दीवानी मिलने पर इस व्यवस्था में आंशिक बदलाव की गई जिसके तहत करो की दर में अत्यधिक वृद्धि की गई इसका मुख्य कारण अंग्रेजों के राजनीतिक आर्थिक व प्रशासनिक  हित थे. स्थायी बंदोबस्त क्या है | What Is Permanent Settlement In Hindi permanent settlement features meaning conclusion sthai bandobast kya hai:  घर वृद्धि के कारण 1771 तक आते-आते किसानों पर करो का बहुत अत्यधिक बढ़ गया तथा किसानों का आर्थिक शोषण अपने चरम पर था परिणाम स्वरूप कृषि व्यवस्था ठप पड़ गई तथा अंग्रेज भी अपना संपूर्ण ध्यान कर  व्यवस्था पर देने के कारण व्यापारी को प्रशासनिक क्षेत्र में असफल हो रही थी. अतः कर व्यवस्था में सुधार हेतु 1772 में इजारेदारी प्रथा प्रारंभ की गई जिसके तहत वारेन हेस्टिंग्स ने कर वसूलने का ठेका अस्थाई रूप से बोली लगा कर देना प्रारंभ कर दिया जिसमें ठेकेदार को 5 वर्ष में लगान क...

राजा राममोहन राय तथा ब्रह्म समाज | Raja Ram Mohan Roy and Brahmo Samaj In Hindi

  राजा राममोहन राय तथा ब्रह्म समाज | Raja Ram Mohan Roy and Brahmo Samaj In Hindi  : राजा राममोहन राय का जन्म 1774 इसी में बंगाल की राधा नगर की एक ब्राह्मण परिवार में हुआ इनके पिता का नाम रमाकांत राय वह माता का नाम तारिणी देवी था. राजा राममोहन राय तथा ब्रह्म समाज | Raja Ram Mohan Roy and Brahmo Samaj In Hindi राजा राममोहन राय का जीवन परिचय जन्म मृत्यु, इतिहास, राजनीतिक विचार एवं सफर (Raja Ram Mohan Roy Biography, Social Reformer Information in Hindi)  : यह प्रारंभ से ही कुशाग्र बुद्धि व क्रांतिकारी विचारों के थे 17 वर्ष की आयु में इन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध किया जिसके कारण उनको घर से निकाल दिया गया इस दौरान उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी में क्लर्क की नौकरी करते हुए फ्रांसीसी अरबी बांग्ला तथा संस्कृत भाषाओं का ज्ञान प्राप्त किया. नौकरी के दौरान लेटिन ग्रीक तथा हिब्रू भाषाएं सीखी तथा हिंदू ईसाई धर्म दोनों की आलोचनात्मक व्याख्या की और समाज सुधार की भावना से प्रेरित होकर 1814 ईसवी में नौकरी त्याग दी तथा 1820 ईसवी में प्रिसेप्स ऑफ जीसस नामक एक पुस्तक प्रकाशित की जिसमें न्यू टे...

महालवाड़ी व्यवस्था | Mahalwari system In Hindi

  महालवाड़ी व्यवस्था | Mahalwari system In Hindi  : लॉर्ड हेस्टिंग्स के काल में ब्रिटिश सरकार ने भू राजस्व व्यवस्था का संशोधित रूप महालवाड़ी व्यवस्था प्रारंभ की यह व्यवस्था प्रारंभ में मध्य प्रांत आगरा पंजाब आदि क्षेत्रों में लागू की गई.  महालवाड़ी व्यवस्था | Mahalwari system In Hindi रैयतवारी और महलवारी सिस्टम क्या था  - इसके अधीन 30% भूमि थी इसके अंतर्गत संपूर्ण गांव या महाल के साथ कर निर्धारण किया जाता था कर वसूली महाल के किसी नेता या जमीदार से की जाती थी जो सामूहिक रूप से माहौल के प्रति उत्तरदाई होता था  सैद्धांतिक रूप से भूमि पूरे गांव की थी. परंतु किसान महाल की भूमि को आपस में विभाजित कर देते थे तथा महाल प्रमुख को लगान जमा करा देते थे करना जमा करने की स्थिति में महाल प्रमुख को किसानों की भूमि से बेदखल करने का अधिकार था लगान संपूर्ण गांव के उत्पादन पर तय किया जाता था. तथा ब्रिटिश कोष में जमा कर दिया जाता था इस व्यवस्था के परिणाम स्वरुप ब्रिटिश आय में वृद्धि के साथ ही महल की मुखिया शक्तिशाली हो गई सरकार का किसान के साथ प्रत्येक संबंध समाप्त हो गए मूल्यांकन इ...

रैयतवाड़ी व्यवस्था | Ryotwari system In Hindi

रैयतवाड़ी व्यवस्था | Ryotwari system In Hindi टॉमस मुनरो ने 1820 ईसवी में मुंबई मद्रास असम प्रांतों में भू राजस्व की दूसरी प्रणाली रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की गई. रैयत का शाब्दिक अर्थ होता है किसी क्षेत्र विशेष के निवासी अर्थात इस व्यवस्था में जमींदार वर्ग को समाप्त करके किसानों को भूमि का मालिक बना दिया गया अब कर वसूली अंग्रेजों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से होती थी भू राजस्व का निर्धारण भूमि के क्षेत्रफल के आधार पर किया गया. इसमें उत्पादन तथा परिस्थितियों का ध्यान नहीं रखा गया इस व्यवस्था को लागू करने में बंगाल के तत्कालीन गवर्नर एलफिंस्टन का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा इस व्यवस्था से जमीदारों का शोषण तो समाप्त हो गया. परंतु किसानों का आर्थिक शोषण यथावत बना रहा क्योंकि कर वसूलने हेतु कठोर दंड प्रावधान किए गए अकाल उत्पादन की स्थिति में भी जबरन वसूली की जाती थी. इन सब कारणों के चलते एक प्रभावशाली बनने की योग्यता रखने वाली या कर व्यवस्था पूर्ण रूप से असफल रही