रैयतवाड़ी व्यवस्था | Ryotwari system In Hindi
टॉमस मुनरो ने 1820 ईसवी में मुंबई मद्रास असम प्रांतों में भू राजस्व की दूसरी प्रणाली रैयतवाड़ी व्यवस्था लागू की गई.
रैयत का शाब्दिक अर्थ होता है किसी क्षेत्र विशेष के निवासी अर्थात इस व्यवस्था में जमींदार वर्ग को समाप्त करके किसानों को भूमि का मालिक बना दिया गया अब कर वसूली अंग्रेजों द्वारा प्रत्यक्ष रूप से होती थी भू राजस्व का निर्धारण भूमि के क्षेत्रफल के आधार पर किया गया.
इसमें उत्पादन तथा परिस्थितियों का ध्यान नहीं रखा गया इस व्यवस्था को लागू करने में बंगाल के तत्कालीन गवर्नर एलफिंस्टन का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा इस व्यवस्था से जमीदारों का शोषण तो समाप्त हो गया.
परंतु किसानों का आर्थिक शोषण यथावत बना रहा क्योंकि कर वसूलने हेतु कठोर दंड प्रावधान किए गए अकाल उत्पादन की स्थिति में भी जबरन वसूली की जाती थी.
इन सब कारणों के चलते एक प्रभावशाली बनने की योग्यता रखने वाली या कर व्यवस्था पूर्ण रूप से असफल रही
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
अपनी राय दें