समय का महत्व जीवन में अत्यधिक है, क्योंकि समय एक बार बीत जाने पर फिर कभी वापस नहीं आता। यह अनमोल है और इसका सही उपयोग जीवन में सफलता की कुंजी है। जो लोग समय का सदुपयोग करते हैं, वे अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। समय के साथ हर चीज बदलती है, इसलिए इसका सम्मान करना आवश्यक है। समय का अपव्यय हमें पीछे कर सकता है और अवसरों को खोने का कारण बनता है। जीवन में अनुशासन और समय की सही समझ से हम अपनी क्षमताओं को और अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकते हैं। यह कहावत "समय ही धन है" हमें सिखाती है कि समय को बर्बाद करना, धन को बर्बाद करने के समान है। सफल व्यक्ति वही होते हैं जो समय का मूल्य समझते हैं और उसका सही नियोजन करते हैं। समय का सदुपयोग करके हम न केवल अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं, बल्कि समाज में एक सफल और सम्मानित जीवन जी सकते हैं।
आहड़ सभ्यता की खोज तथा विशेषताएं | ahar banas culture characteristics in hindi आयङ बनास की सहायक नदी है इसी के किनारे लगभग 2,000 ईसा पूर्व से 1200 ईसा पूर्व के मध्य एक ताम्र युगीन सभ्यता का विकास हुआ था जिसे आहड़ सभ्यता कहा जाता है. इस का प्राचीन नाम था ताम्रवती नगरी था. 10 वीं 11 वीं सदी में इसका नाम आघाटपुर कर दिया गया वर्तमान में इसका स्थानीय नाम धूलकोट है. इसका उत्खनन सर्वप्रथम ए के व्यास ने 1953 में किया. 1956 में आर सी अग्रवाल तथा 1961 में एच डी सॉकलिया द्वारा शोध कार्य किया गया. यहां का प्रमुख उद्योग तांबा गलाना व उपकरण बनाना यहां कई तांबे के औजार तथा एक घर में तांबे गलाने की भट्टी भी प्राप्त हुई है यहा की खुदाई में 6तांबे की मुद्राएं व 3 मोहरे मिली है. मुद्रा में एक और त्रिशूल तथा दूसरी और अपोलो जो यूनानी देवता थे उनका चित्रांकन किया गया था. यहां पर तांबे के बर्तन कुलड़िया उपकरण आदि मिले हैं. यहां से माप तोल के बाट भी प्राप्त हुए हैं जिससे यहां के व्यापार के बारे में पता चलता है मकान पक्की ईंटों के बनाए जाते थे यहां के लोग मृतकों के साथ आभूषण के साथ दफनाते थे....
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