होली भारत का एक प्रसिद्ध और रंगों से भरा त्योहार है, जिसे पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन आता है और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। होली से एक दिन पहले होलिका दहन होता है, जिसमें बुराई के अंत और सच्चाई की विजय की मान्यता है। अगले दिन, लोग एक-दूसरे पर रंग, गुलाल और पानी डालते हैं, जिसे रंगवाली होली कहते हैं। इस दिन लोग पुराने गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे को गले लगाते हैं। मिठाइयों में गुजिया और ठंडाई का विशेष महत्व होता है। होली के गीत और नृत्य से वातावरण आनंदमय हो जाता है। यह त्योहार मेल-जोल, प्रेम और भाईचारे का प्रतीक है, और हर आयु के लोग इसे पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।
आहड़ सभ्यता की खोज तथा विशेषताएं | ahar banas culture characteristics in hindi आयङ बनास की सहायक नदी है इसी के किनारे लगभग 2,000 ईसा पूर्व से 1200 ईसा पूर्व के मध्य एक ताम्र युगीन सभ्यता का विकास हुआ था जिसे आहड़ सभ्यता कहा जाता है. इस का प्राचीन नाम था ताम्रवती नगरी था. 10 वीं 11 वीं सदी में इसका नाम आघाटपुर कर दिया गया वर्तमान में इसका स्थानीय नाम धूलकोट है. इसका उत्खनन सर्वप्रथम ए के व्यास ने 1953 में किया. 1956 में आर सी अग्रवाल तथा 1961 में एच डी सॉकलिया द्वारा शोध कार्य किया गया. यहां का प्रमुख उद्योग तांबा गलाना व उपकरण बनाना यहां कई तांबे के औजार तथा एक घर में तांबे गलाने की भट्टी भी प्राप्त हुई है यहा की खुदाई में 6तांबे की मुद्राएं व 3 मोहरे मिली है. मुद्रा में एक और त्रिशूल तथा दूसरी और अपोलो जो यूनानी देवता थे उनका चित्रांकन किया गया था. यहां पर तांबे के बर्तन कुलड़िया उपकरण आदि मिले हैं. यहां से माप तोल के बाट भी प्राप्त हुए हैं जिससे यहां के व्यापार के बारे में पता चलता है मकान पक्की ईंटों के बनाए जाते थे यहां के लोग मृतकों के साथ आभूषण के साथ दफनाते थे....
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